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कविता--लाल गुलाब


कविता--लाल गुलाब

परतों में सिमटा मैं सुर्ख रंग का गुलाब
नहीं मुझ जैसा दुनिया में कोई शवाब

काँटों के बीच भी मैं खिलकर मुस्कुराता हूँ
संघर्षों से मत डरो यही तो समझाता हूँ

प्यार, विश्वास और सफलता का हूँ मैं प्रतीक
परतों में छिपा या है मैंने परमसत्य का प्रतीक।

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सीमा...✍️
©®


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9 Comments

Swati chourasia

20-Sep-2022 07:47 PM

बहुत खूब 👌

Reply

Suryansh

16-Sep-2022 07:40 AM

बहुत ही उम्दा और सशक्त रचना

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Bahut khoob 💐👍

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